Banwarilal Purohit ने राष्ट्रपति द्रोपदी मुर्मू को लिखे एक संक्चिप्त पत्र में अपना इस्तीफा देने के पीछे व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया।
Banwarilal Purohit ने शनिवार को व्यक्तिगत कारणों का हवाला देते हुए पंजाब के राजयपाल और केंद्रशासित प्रदेश चंडीगड़ के प्रशासक पद से इस्तीफा दे दिया, यह वाक्या नई दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित साह से मुलाकात के बाद हुआ।
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Banwarilal Purohit ने एक पत्र के माध्यम से ये जानकारी दी-
Banwarilal Purohit ने पत्र में कहा-” व्यक्तिगत कारणों और कुछ अन्य प्रतिबध्दताओं के कारण में चंडीगड़ के राजयपाल और प्रशासक के पद से अपना इस्तीफा देता हूँ। कृपया इसे स्वीकार करें”
चंडीगड़ मेयर चुनाव विवाद के कुछ दिनों बाद आया है ये इस्तीफा-
30 जनवरी में चंडीगड़ मेयर चुनाव विवाद रहा था, उसके कुछ दिनों बाद आया है ये इस्तीफा। भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के मंत्री मनोज सोनक ने कांग्रेस- आप (आम आदमी पार्टी ) के घठबंघन को हरा कर चुनाव जीता। जिसमें अधिकारी द्वारा मतपत्रों से छेड़छाड़ का आरोप लगाया गया था।
Banwarilal Purohit ने चार साल तक तमिलनायडु के राजयपाल के रूप में कार्य करने के बाद सितम्बर 2021 में पंजाब के राजयपाल के रूप में कार्य संभाला था।
पंजाब के मुख्य्मंत्री से बार- बार झड़प
राजयपाल के रूप में अपने दो साल से अधिक के कार्यकाल में बनवारीलाल पुरोहित का पंजाब में आम आदमी पार्टी सरकार के साथ कई मुद्दों पर टकराव रहा, जिसमें राजभवन की लंबित विधानों की मंजूरी और कुलपतियों की नियुक्तियां भी शामिल थी।
जून 2023 में राजयपाल ने अपने सीएम द्वारा ” वेहला (एक आलसी व्यक्ति)” कहे जाने पर भी आपत्ति जताईथी। यह बात सीएम ने विधानसभा में बोली थी और अपमानजनक भाषा के लिए क़ानूनी कार्यवाही की धमकी भी दी थी। जिसमें दोनों के बीच बनवारीलाल पुरोहित के द्वारा सीमावर्ती छेत्रो का दौरा करने के लिए सरकारी हेलीकॉप्टरों का उपयोग करने पर भी विवाद हुआ था। इसके बाद बनवारीलाल पुरोहित ने हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल करना बंद कर दिया था।
Banwarilal Purohit ने कई महत्पूर्ण विधेयकों को रोक दिया और स्पीकर द्वारा बुलाए गए कई विधानसभा सत्रों को अवैध करार दिया। जिसमें की भगवंत मान की आम आदमी सरकार को फरवरी और अक्टूबर 2023 में दो बार सुप्रीम कोर्ट जाना पड़ा। सुप्रीम कोर्ट ने राजयपाल से जब यह कहा की वह चुने हुए नुमाइंदे नहीं है और सरकार चलना चुने हुए नुमाइंदो का काम है।
वहीँ पंजाब में आम आदमी पार्टी के प्रवक्ता मलविंदर सिंह ने कहा-” एक बात बहुत साफ़ है, की भाजपा उन राज्यों में राजयपालों के माध्यम से दिनप्रतिदिन हस्तछेप करती है, जहाँ वह सरकार नहीं बना सकती, इन ढाई सालों में पंजाब के राजयपाल ने केंद्र के निर्देश पर बहुत सारे असवैंधानिक कार्य किये है।
पुरोहित के इस्तीफा की पुष्टि करते हुए, पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने काहा ” हाँ उन्होंने इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने जो मुद्दे उठाए वो पंजाब के हित में थे।
असम के भी राजयपाल रह चुके है Banwarilal Purohit
Banwarilal Purohit दो बार कांग्रेस और एक बार भाजपा की टिकट से सांसद भी बन चुके है, वे 1977 में राजनीती में आये थे और 1978 में विधर्ब आंदोलन समिति की टिकट पर नागपुर से विधानसभा का चुनाव जीते। इससे पहले वे असम के भी राजयपाल रह चुके है।
दक्षिण नागपुर से कांग्रेस के विधायक बने थे
1980 में दक्षिण नागपुर से कांग्रेस के विधायक बने थे, कांग्रेस के टिकट पर नागपुर लोकसभा एरिया से 1984 व् 1989 चुने गए। राममंदिर मुद्दे पर उन्होंने 1991 में कोंग्रेश छोड़ दी और भाजपा में शामिल हो गए, भाजपा ने उन्हें 1996 में टिकट दिया और वो तीसरी बार सांसद बने।उम्मीद है हमारे द्वारा दी गई जानकारी आपको पसंद आई होगी, हमारे द्वारा दी गई जानकारी को लेकर आपको कोई सुझाव या शिकायत है तो नीचे दिए गए कमेंट बॉक्स में कमेंट करें।